जो कृष्ण कहते हैं,                                                                                                                                                          ,
 जो हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा अच्छा होगा ,तुम भूत का पश्चाताप ना करो भविष्य की चिंता ना करो ,वर्तमान चल रहा है       


हमारा नियंत्रण बीता हुआ कल पर था, ना आने वाला कल पर होगा ,हमारा तो बस नियंत्रण इस पल पर है जो अपनी गति से लगातार चलते जा रहा है,  अगर हम इस पल को सुधार ले तो आने वाला कल अपने आप सुधर जाएगा, अगर हम बीते हुए कल की चिंता करेंगे तो हम इस पल को नष्ट कर देंगे जो हमारे लिए अनंत संभावनाएं अपने आप में समेटे हुए हैं।

अगर हम बीते हुए कल की चिंता करते हैं तो हमें हासिल होगा तो बस दुख है और जाने -अनजाने  में हम खुद की शत्रु बन जाते है  क्योंकि चिंता से बड़ा कोई शत्रु नहीं होता।



 जगत में कोई ऐसी वस्तु नहीं जो समय से ज्यादा महत्वपूर्ण हो


ऐसा कोई खजाना नहीं जो समय को खरीद सक


   इस जगत में समय की हानि से बड़ा कोई हानि नहीं चिंता से बड़ा कोई शत्रु नहीं यह हम जानते हैं फिर ना जाने क्यों हम बीते हुए कल की चिंता करते है।




इस पल जो अभी चल रहा है उस पल में आप अपने व्यक्तित्व को ऊपर उठाने में लगा दे  अपनी हर असफलता को सफलता में बदलने में लगा दे कल आप देखेंगे आपके हर जीवन की असफलता सफलता में बदल चुकी है




मजबूत बनो लेकिन कठोर नहीं, देहलू रहो ,लेकिन कमजोर नहीं ,विनम्र रहो लेकिन डरपोक नहीं, खुद पर गर्व करो , लेकिन घमंड नहीं।



अगर कोयला भी अगर कठिन परिस्थिति को लंबे समय तक झेले  तो वह हीरा बन जाता है।


 पत्थर को मूर्ति बनी होती है तो उसे उसे हथौड़ी की मार सहनी होती है।

 बड़ी चुनौतियां हमें बेहतर अनुभव देते हैं हर कठिन परिस्थिति   हर असफलता में उससे बड़ा या उसके बराबर की सफलता छुपी हुई होती है।
 हम यह नहीं कभी नहीं जान पाएंगे कि कौन सी परिस्थिति हमें क्या सीख देना चाहती है   इस दुनिया में कई  अवतार और महान विद्वान हुए हैं लेकिन ऐसा कोई महान अवतार और विद्वान नहीं जो कभी असफलता का सामना नहीं किया हो।